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नई दिल्ली किसी भी बिल को मनी बिल तय करने के स्पीकर के विशेषाधिकार की सीमा सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच तय करेगी। इससे पहले आधार बिल को मनी बिल के तौर पर तय किए जाने को लेकर सुनवाई हो चुकी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय अलग-अलग थी। संविधान के अनुच्छेद 110 (1) के तहत मनी बिल वह विधेयक होता है जिसमें केवल धन से जुड़े हुए प्रस्ताव हों। इसके तहत राजस्व और खर्च से जुड़े हुए मामले आते हैं। ऐसे विधेयकों पर राज्य सभा में चर्चा तो हो सकती है लेकिन उस पर कोई वोटिंग नहीं हो सकती।